हम उस प्रकृति को आराध्य मानते हैं। जिसने हमें बनाया और हमें तरह-तरह के संसाधनों से सुसज्जित किया।यद्यपि प्रकृति ने सिर्फ हमें ही नही अपितु अन्य जीव जन्तुओं को भी बनाया किन्तु मनुष्यों एवं अन्य जीवों में थोड़ा सा अधिक महत्व मानव जाति को दिया और हमें चिन्तनशील एवं कल्पनाशील अति विकसित मस्तिक दे दिया , कारण यह था कि जैसे एक परिवार का संरक्षक परिवार के अन्य सदस्यों से अनुभवी एवं चिन्तनशील होता है। एक देश का कर्णधार तथा प्रतिनिधित्व करने वाला आम जनता से अधिक संवेदनशील एवं निर्णयशील होता है। ताकि वह अपने परिवार अपनी जनता की रक्षा एवं सेवा कर सके ठीक उसी प्रकार प्रकृति ने इस सृष्टि के संरक्षक के रूप में हमें बनाया और इसी कारण मानव को चिन्तनशीलता एवं कल्पना करने की शक्ति दी और चेतनापूर्ण बनाया ता कि वह अन्य समस्त जातियों की रक्षा एवं सेवा कर सके।कोरोना की एक प्रकृति का प्रकोप है क्योंकि हमने प्रकृति के साथ बहुत खिलवाड़ किया है इसलिए आज हमें कोरोना से से महामारी से जूझना पड़ रहा है लेकिन हमेशा प्रकृति के विधान को बताने के लिए कोई न कोई तत्वदर्शी संत किसी न किसी रूप में मौजूद होता है लेकिन मानव समाज उसके ज्ञान एवं विधान को नहीं मानकर और प्रकृति के विधान को अपमानित करते हैं जिससे प्रकृति और भी रुष्ट होकर मानव जाति एवं अन्य जीव जाति को कष्ट पर कष्ट भोगना पड़ता है। अभी के समय में भी परमात्मा संत रामपाल जी महाराज के रूप में संदेशवाहक बनकर इस पृथ्वी पर आए हुए हैं उनके ज्ञान को समझ कर पूरा विश्व इस महामारी एवं अनेकों लाइलाज बीमारी एवं प्रकृति के प्रकोप से बच सकते हैं। अधिक जानकारी के लिए देखें साधना चैनल रात्रि 7:30 बजे से प्रत्येक दिन
The whole world will have to believe one day Kabir Saheb is absolute God
Tuesday, July 7, 2020
मानव जाति
प्रकृति की सबसे अद्वितीय, विशिष्ट एवं अनमोल कृति मानव है, किन्तु आज के विश्व समुदाय में वह अलग -अलग एवं पृथक - पृथक धर्मों के माध्यम से प्रकृति का अनेक नामकरण करके इसकी उपासना करती है यह बात सर्वविदित
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